सरोजिनी नायडू, भारत की आज़ादी की लड़ाई में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर महिलाएं भी, ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ खड़ी रही थी. स्वतंत्रता सेनानियों ने ना केवल स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया बल्कि देश के भीतर पल रही कई सामाजिक बुराइयों को भी कम किया है. आज हम ऐसी ही एक स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू के बारे में बात करने जा रहे है जिनकी हिम्मत और देश के प्रति दिए योगदानों को आज भी याद किया जाता है. हम बात कर रहे है, भारत की कोकिला (नाइटिंगल ऑफ़ इंडिया) कही जाने वाली सरोजिनी नायडू की. आइए जानते है उनके जीवन के बारे में.
प्रारंभिक परिचय
सरोजिनी नायडू एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, कवयित्री और राजनीतिज्ञ थी. उन्हें “नाइटिंगल ऑफ़ इंडिया” (भारत की कोकिला) के नाम से भी जाना जाता है. सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1897 को हैदराबाद में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उनके पिता अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय, एक प्रसिद्ध विज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे और उनकी माता वरद सुंदरी, एक कवयित्री थी. सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रमुख नेताओं में से एक थी जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई.
जानिए सरोजिनी नायडू के बारे मे।
शिक्षा
सरोजिनी को बचपन से ही कविताएं पढ़ने का काफ़ी शौक था उन्होंने मात्र 14 वर्ष की आयु में अधिकतर अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का अध्ययन कर लिया था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास (चेन्नई) से की, जहां उन्होंने मैट्रिक परीक्षा में टॉप किया. इसके बाद 1895 में 16 वर्ष की आयु में वे उच्य शिक्षा के लिए इनलैंड चली गई जहां उन्होंने किंग कॉलेज लंदन और कैंब्रिज के गिर्टन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की. सरोजिनी पढ़ाई में उत्कृष्ट थीं और अंग्रेजी साहित्य पर अपनी असाधारण पकड़ के लिए जानी जाती थी. लेकिन साल 1898 में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी
विवाह
सरोजनी जब 15 वर्ष की थी तब उनकी मुलाकात डॉ. गोविंद राजालु नायडू से हुई, जिसके बाद उन्हें उनसे प्रेम हो गया. . गोविंद राजालु गैर ब्राह्मण थे और पेशे से एक डॉक्टर थे. 19 वर्ष की आयु में सरोजनी ने . गोविंद राजालु नायडू से विवाह कर लिया, उन्होंने अंर्तजातीय विवाह किया जो उस समय मान्य था यह एक तरह का क्रांतिकारी कदम था लेकिन उनके इस फैसले में उनके माता पिता उनके साथ थे. उनका वैवाहिक जीवन काफी सुखमय रहा और उनकी चार संतान थी जिनके नाम जयसूर्या, पदमज, रणधीर और लीलामणि थे.
काव्य प्रतिभा
सरोजिनी के पिता चाहते थे की वे एक वैज्ञानिक या गणितज्ञ बने लेकिन उनकी रुचि कविता में थी. उन्होंने अपनी कविता संग्रह से साहित्यिक सफलता हासिल की, 1905 में उनका पहला कविता संग्रह, “द गोल्डन थ्रेशोल्ड” प्रकाशित हुआ.
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
1905 में बंगाल विभाजन के दौरान सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुई, जहां उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले, जवाहरलाल नेहरू, रवीन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर काम किया.
1916 में, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के साथ बिहार के पश्चिमी जिले चंपारण के नील श्रमिकों की निराशाजनक स्थितियों के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी.
इसके अलावा उन्होंने गांधीजी द्वारा चलाए गए नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन, और सविनय अवज्ञा आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस बीच उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
1925 में सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अध्यक्ष के पद पर चुनी गई, वे भारत की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष थी. सरोजिनी ने भारतीय महिलाओं के लिए महिला सशक्तिकरण, और उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई, उन्होंने ग्रामीण से लेकर शहरों तक महिलाओं को जागरूक किया था
देश की पहली राज्यपाल
1947 में भारत की आजादी के बाद, सरोजिनी नायडू को सयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल बनाया गया, वह आजाद देश की पहली महिला गवर्नर थी.
भारत की कोकिला
सरोजिनी नायडू की कविताओं के साथ उनकी मधुर आवाज़ के लोगो सुनना पसंद करते थे, जब वे अपनी सुरीली आवाज़ में अपनी कविताओं को पड़ती थी तब सुनने वाला का दिल खुश हो जाता था और इसीलिए सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला के नाम से जाना जाने लगा.
पुरस्कार
- कैसर-ए-हिंद पदक – 1928 में, सरोजिनी नायडू को उनकी विशिष्ट सार्वजनिक सेवा के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा कैसर-ए-हिंद पदक से सम्मानित किया गया था.
- निज़ाम का रजत जयंती पदक – 1936 में, सरोजिनी नायडू को उनके साहित्यिक और राजनीतिक योगदान के लिए हैदराबाद के निज़ाम द्वारा निज़ाम के रजत जयंती पदक से सम्मानित किया गया था.
- पद्म भूषण – 1954 में, मरणोपरांत, सरोजिनी नायडू को साहित्य और राजनीतिक सक्रियता में उनके असाधारण योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
निधन
भारत की कोकिला कहने जाने वाली सरोजनी नायडू ने अपने पूरे जीवन के देश के प्रति समर्पित किया और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया. 2 मार्च 1949 को सरोजनी नायडू ने इस दुनियां को अलविदा कह दिया.
सरोजिनी नायडू की प्रसिद्ध कविताएं
1. भारत देश है प्यारा
भारत देश है हमारा बहुत प्यारा,
सारे विश्व में है यह सबसे न्यारा,
अलग-अलग हैं यहां सभी के रूप रंग,
पर सुर सब एक ही गाते,
झंडा ऊंचा रहे हमाराहर परदेश की है यहाँ अलग एक जुबान,
पर मिठास कि है सभी में शान,
अनेकता में एकता को पिरोकर,
सबने हाथ से हाथ मिलाकर देश संवारा,लगा रहा है अब भारत सारा,
“हम सब एक हैं” का नारा,
भारत देश है हमारा बहुत प्यारा,
सारे विश्व में है यह सबसे न्यारा।
2. नारी
बचपन में मां ने नारी का किरदार निभाया है,
उसने ही तो हमे ठीक से चलना, बोलना और पढ़ना सिखाया है।उम्र जैसे बढ़ी तो पत्नी ने नारी का रूप दिखाया है,
उसने हर परिस्थिति में हमे डटकर लड़ना सिखाया है।फिर बेटी ने नारी का रूप अपनाया है,
दुनिया से प्यार करना सिखाया है।और तो क्या ही लिखूं मैं नारी के सम्मान में,
हम सब तो खुद ही गुम हो गए हैं अपने ही पहचान में।
3. बदलता हूं
मैं सोच भी बदलता हूं,
मैं नज़रिया भी बदल ता हूं,मिले ना मंज़िल मुझे,
तो में उसे पाने का ज़रिया भी बदलता हूं,बदलता नहीं अगर कुछ,
तो मैं लक्ष्य नहीं बदलता हूं,
उसे पाने का पक्ष नहीं बदलता हूं।