“छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता और टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता”, ये कथन है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का. अटल बिहारी वाजपेयी, भारत माता के एक ऐसे सपूत थे, जिन्होंने ना सिर्फ स्वतंत्रता से पहले बल्कि स्वतंत्रता के बाद भी देश के प्रति कई योगदान दिए और अपना पूरा जीवन जन कल्याण और देशवासियों के प्रति समर्पित कर दिया.
आज हम अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों को जानेंगे, तो चलिए शुरू करते है.
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▪️ परिचय
अटल बिहारी वाजपेयी एक भारतीय राजनीतिज्ञ, राजनेता और कवि थे, जिन्होंने भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत के कवि. वाजपेयी एक अनुभवी सांसद थे जो 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए. उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
▪️प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अटल ने अपनी स्कूली शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर, गोरखी, बारा, ग्वालियर से पूरी की. उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज), ग्वालियर से राजनीति विज्ञान (पॉलिटिकल साइंस) में मास्टर डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
वाजपेयी हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा के जानकर थे, उन्होंने डीएवी कॉलेज, कानपुर से कानून की डिग्री हासिल की.
बाद में उन्होंने वकालत की पढ़ाई के लिए एलएलबी में भी एडमिशन लिया. हालांकि, उन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. वे स्वामी विवेकानन्द जैसे राष्ट्रवादी नेताओं से प्रेरित थे जिसके चलते वे अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए.
▪️ राजनीतिक कैरियर:
अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शुरू हुई जब वह 1939 में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) में शामिल हुए. वह 1947 में संगठन के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए.
1951 में, वाजपेयी ने भारतीय जनसंघ (बीजेएस) की सह-स्थापना की, जो हिंदू राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध एक राजनीतिक दल है.
इसके बाद 1957 में वे पहली बार उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुने गए.
वाजपेयी ने बीजेएस और बाद में उसकी उत्तराधिकारी जनता पार्टी द्वारा गठित सरकारों में कई मंत्री पद संभाले. उन्होंने 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई सरकार में विदेश मंत्री के रूप में भी कार्य किया.
1980 में, वाजपेयी ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन किया, जो भारतीय राजनीति में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बनकर उभरी.
▪️प्रधानमंत्री कार्यकाल
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री रूप में कार्यरत रहे. पहली बार, 1996 में फिर दूसरी बार, 1998 से 1999 तक और तीसरी बार 1999 से 2004 तक.
1996 में प्रधानमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल केवल 13 दिनों तक चला क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार संसद में बहुमत हासिल नहीं कर सकी.
उनका दूसरा कार्यकाल 1998 में शुरू हुआ जब भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने आम चुनावों में बहुमत हासिल किया. इस कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण सहित कई आर्थिक और बुनियादी ढांचे के सुधारों को लागू किया.
प्रधानमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल 1999 में एनडीए के आम चुनाव जीतने के बाद शुरू हुआ. उनकी सरकार ने आर्थिक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विकास और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें 2004 में पाकिस्तान की ऐतिहासिक यात्रा भी शामिल है.
▪️व्यक्तिगत जीवन
अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तिगत जीवन की बात करे तो वे कविताएं लिखने के काफ़ी शौकीन थे उन्होंने करीब 51 कविताओं का एक काव्य संग्रह लिखा है.
उनकी द्वारा लिखी गई प्रथम कविता “ताजमहल” थी जिसमें उन्होंने ताजमहल के कारीगरों के शोषण और दर्द के भाव को उजागर किया है.
वाजपेयी अजीवन कुंवारे रहे, उन्होंने कभी शादी नहीं की इसके बावजूद भी उनका परिवार बहुत ही मिलनसार था और वह अपने सौहार्दपूर्ण स्वभाव के लिए जाने जाते थे.
▪️पुरस्कार
अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय राजनीति और समाज में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया था.
जिसमे से कुछ इस प्रकार है :
1. भारत रत्न –
11 मार्च 2015 को अटल बिहारी वाजपेयी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था. यह सम्मान 1998 से प्रधान मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल सहित विभिन्न क्षमताओं में राष्ट्र के लिए उनकी असाधारण सेवा की मान्यता में दिया गया था.
2. पद्म विभूषण –
साल 2002 में, वाजपेयी को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार “पद्म विभूषण” से सम्मानित किया गया था. यह सम्मान उन्हें सार्वजनिक मामलों और राजनीति के क्षेत्र में राष्ट्र के प्रति उनकी विशिष्ट सेवा की स्वीकृति में दिया गया था.
3. पद्म भूषण –
साल 1992 में, वाजपेयी को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार “पद्म भूषण” से भी सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उन्हें सार्वजनिक जीवन और राजनीति के क्षेत्र में राष्ट्र के प्रति उनकी असाधारण सेवा के सम्मान में प्रदान किया गया.
▪️निधन
राजनीति से संन्यास लेने के बाद, वाजपेयी का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, किडनी संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की उम्र में इस दुनियां को अलविदा कह गए.
वाजपेयी को उनके उच्च विचारों और राजनीति में किए गए कार्यों के चलते आज भी लोगो द्वारा याद किया जाता है.